दिल के वीराने में एक फूल खिला रहता है

दिल के वीराने में एक फूल खिला रहता है
कोई मौसम हो मेरा ज़ख़्म हरा रहता है,

शब को होगा उफ़ुक़ ए जाँ से तेरा हुस्न तुलूअ
ये वो ख़ुर्शीद है जो दिन को छुपा रहता है,

यही दीवार ए जुदाई है ज़माने वालो
हर घड़ी कोई मुक़ाबिल में खड़ा रहता है,

कितना चुप चाप ही गुज़रे कोई मेरे दिल से
मुद्दतों सब्त निशान ए कफ़ ए पा रहता है,

सारे दर बंद हुए शहर में दीवाने पर
एक ख़्वाबों का दरीचा ही खुला रहता है..!!

~शकेब जलाली


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