हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए
हिज्र से बचने के मंतर आ गए,
मैं ने तुम को अंदर आने का कहा
तुम तो मेरे दिल के अंदर आ गए,
एक ही औरत को दुनिया मान कर
इतना घूमा हूँ कि चक्कर आ गए,
इम्तिहान ए इश्क़ मुश्किल था मगर
नक़्ल कर के अच्छे नंबर आ गए..!!
~तहज़ीब हाफ़ी
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