कोई दुश्मन भला भाता किसे है

कोई दुश्मन भला भाता किसे है
बनाना दोस्त भी आता किसे है

फ़ना हो कर बक़ा पाता है इंसाँ
हुनर जीने का ये आता किसे है

अभी तक एक थे और एक हैं हम
अरे नादाँ तू बहकाता किसे है

तू पहले ख़ुद अमल पैरा तो हो जा
अबस ये वा’ज़ फ़रमाता किसे है

हमारा काम तो कार ए जुनूँ है
ख़िरद के साथ उलझाता किसे है

हैं हिन्दू सिख मुसलमाँ भाई भाई
धरम मज़हब पे लड़वाता किसे है

बदल देगा ज़माना राह साहिल
सिवाए दिल के बहलाता किसे है..!!

~राम चंद्र वर्मा साहिल


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