अकेले छोड़ जाते हो ये तुम अच्छा नहीं करते

अकेले छोड़ जाते हो ये तुम अच्छा नहीं करते
हमारा दिल दुखाते हो ये तुम अच्छा नहीं करते,

कहा भी था मुहब्बत है मुहब्बत ही इसे रखो
तमाशा जो बनाते हो ये तुम अच्छा नहीं करते,

उठाते हो सर ए महफ़िल फ़लक तक तुम हमें लेकिन
उठा कर जो गिराते हो ये तुम अच्छा नहीं करते,

कोई जो पूछ ले तुमसे कि रिश्ता क्या है अब हम से ?
तो नज़रों को झुकाते हो ये तुम अच्छा नहीं करते,

बिखर जाएँ अंधेरों में सहारा तुम ही देते हो
मगर फिर छोड़ जाते हो ये तुम अच्छा नहीं करते..!!


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