बहुत मुमकिन था हम दो जिस्म और एक जान हो जाते
मगर दो जिस्म सिर्फ़ एक जान से हलकान हो जाते,
तुम आते तो दिलों से खेलने का शौक़ था तुम को
तो मेरे जिस्म ओ जाँ उस खेल का मैदान हो जाते,
हम उस के वस्ल के चक्कर में ग़ारत हो गए आख़िर
किया होता जो हिज्र अच्छे भले इंसान हो जाते..!!
~फ़रहत एहसास