रात सुनती रही मैं सुनाता रहा
दर्द की दास्ताँ मैं बताता रहा,
लोग लोगो से चाहत निभाते रहें
एक वो था मेरा दिल दुखाता रहा,
धूप छाँव सी उसकी तबीयत रही
निगाहें मिलाता रहा वो चुराता रहा,
दिल के मेहमान खाने में रौनक रही
कोई आता रहा कोई जाता रहा,
हम मक्तब ने सारे सबक़ पढ़ लिए
मैं तेरा नाम लिखता और मिटाता रहा..!!