वक़्त जब साज़गार होता है
सच है दुश्मन भी यार होता है,
बाँट ले ग़म जो ग़म के मारों का
वो बड़ा ग़म गुसार होता है,
लोग उस को भी काट देते हैं
पेड़ जो साया दार होता है,
जिस का कोई नहीं ज़माने में
उस का परवर दिगार होता है,
जिस के आग़ाज़ का हो नेक अंजाम
काम वो शानदार होता है,
आप गुलशन में जब नहीं होते
गुल भी नज़रों में ख़ार होता है,
दिल की बाज़ी वो हार के बोले
जीत का नाम हार होता है,
वो बड़ा ख़ुश नसीब है यारो
यार को जिस से प्यार होता है
चश्म ए बीमार बंद होने लगी
ख़त्म अब इंतिज़ार होता है,
उस का लाशा कोई न हो जिस का
बे कफ़न बे मज़ार होता है,
दीदा ए अहल ए दर्द में पुरनम
अश्क दिल की पुकार होता है..!!
~पुरनम इलाहाबादी

























