तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे

तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे
जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनाएँगे,

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर आने में वर्ना घर खो जाएँगे,

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे,

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हों मुमकिन है
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोका खाएँगे,

किन राहों से सफ़र है आसाँ कौन सा रस्ता मुश्किल है
हम भी जब थक कर बैठेंगे औरों को समझाएँगे,

~निदा फ़ाज़ली

संबंधित अश'आर | गज़लें

Leave a Reply