कटा न कोह ए अलम हम से कोहकन की तरह

kata na koh e

कटा न कोह ए अलम हम से कोहकन की तरह बदल सका न ज़माना तेरे चलन की तरह,

हमारे हाल से कोई जो बा ख़बर रहता

humare haal se koi

हमारे हाल से कोई जो बा ख़बर रहता ख़याल उसका हमें भी तो उम्र भर रहता, जिसे भी

करता मैं अब किसी से कोई इल्तिमास क्या

karta main ab kisi

करता मैं अब किसी से कोई इल्तिमास क्या मरने का ग़म नहीं है तो जीने की आस क्या

चमन लहक के रह गया घटा मचल के रह गई

chaman lahak ke rah

चमन लहक के रह गया घटा मचल के रह गई तेरे बग़ैर ज़िंदगी की रुत बदल के रह

हर शेर से मेरे तेरा पैकर निकल आए

har sher se mere

हर शेर से मेरे तेरा पैकर निकल आए मंज़र को हटा कर पस ए मंज़र निकल आए, ये

कुछ इस अदा से वो मेरे दिल ओ नज़र में रहा

kuch is ada se

कुछ इस अदा से वो मेरे दिल ओ नज़र में रहा ब क़ैद ए होश भी मैं आलम

ख़बर नहीं कि सफ़र है कि है क़याम अभी

khabar nahin ki safar

ख़बर नहीं कि सफ़र है कि है क़याम अभी तिलिस्म ए शहर में खोए हैं ख़ास ओ आम

अलबेली कामनी कि नशीली घड़ी है शाम

albeli kaamni ki nashili

अलबेली कामनी कि नशीली घड़ी है शाम सर मस्तियों की सेज पे नंगी पड़ी है शाम, बेकल किए

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को

apne haathon ki lakiron

अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझ को मैं हूँ तेरा तू नसीब अपना बना ले मुझ

उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या

umr guzregi imtihaan me

उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या मेरी हर बात बे असर