नज़र आ रहे हैं जो तन्हा से हम

नज़र आ रहे हैं जो तन्हा से हम
सो यूँ है कि भर पाए दुनिया से हम,

न परवाह हमें हाल ए बेहाल की
न शर्मिंदा उम्र ए गुज़िश्ता से हम,

भला कोई करता है मुर्दों से बात
कहें क्या दिल ए बे तमन्ना से हम,

नज़र में है जब से सरापा तेरा
जभी से हैं कुछ बे सर ओ पा से हम,

कोई जल-परी क्या परी भी न आई
मगर ख़ुश हुए रात दरिया से हम,

तमाशाई शश जिहत हैं सो हैं
ख़ुद अपने लिए भी तमाशा से हम,

समझना था दुनिया को यूँ भी मुहाल
समझते थे दुनिया को दुनिया से हम..!!

~अजमल सिराज


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