मैं अभी देख के आया हूँ हरे जंगल को

मैं अभी देख के आया हूँ हरे जंगल को
सब्ज़ पेड़ों में भी वीरानी बहुत होती है,

उन दिनों मैं नज़र अंदाज़ हुआ होता हूँ
जिन दिनों मेरी निगहबानी बहुत होती है,

फ़ासला रखे मुनासिब सा खरद मंदी से
अक्ल आ जाए तो नादानी बहुत होती है,

दिल तरसता है जिसे मिलने को मक़सूद ए वफ़ा
मिल भी जाए तो परेशानी बहुत होती है..!!

Leave a Reply