ख़्वाब के फूलों की ताबीरें कहानी हो गईं

ख़्वाब के फूलों की ताबीरें कहानी हो गईं
ख़ून ठंडा पड़ गया आँखें पुरानी हो गईं,

जिस का चेहरा था चमकते मौसमों की आरज़ू
उस की तस्वीरें भी औराक़ ए ख़िज़ानी हो गईं,

दिल भर आया काग़ज़ ए ख़ाली की सूरत देख कर
जिन को लिखना था वो सब बातें ज़बानी हो गईं,

जो मुक़द्दर था उसे तो रोकना बस में न था
उन का क्या करते जो बातें ना गहानी हो गईं,

रह गया ‘मुश्ताक़’ दिल में रंग ए याद ए रफ़्तगाँ
फूल महँगे हो गए क़ब्रें पुरानी हो गईं..!!

~अहमद मुश्ताक़

Leave a Reply