हर किसी की है ज़बानी दोस्ती
क्या किसी की आज़मानी दोस्ती,
थे मुसाफ़िर दो अलग रस्तों के हम
हो गई बस ना गहानी दोस्ती,
ढूँढता है हर रिफ़ाक़त में नई
दिल हमेशा एक पुरानी दोस्ती,
दफ़्न है सीने में मेरे आज भी
उस की मेरी आँ जहानी दोस्ती,
दोस्तों को दिल दुखाना आ गया
आ गई हम को निभानी दोस्ती,
कुछ तो तेरी भी ख़ता होगी फ़रोग़
गर हुई है सरगिरानी दोस्ती..!!
~फ़रोग़ ज़ैदी