हर फ़ित्ना ओ तफ़रीक़ से बेज़ार हैं हम लोग
साइल हैं मोहब्बत के तलबगार हैं हम लोग,
हिन्दू न मुसलमान न ईसाई न सिख हैं
इस मुल्क की तहज़ीब के मीनार हैं हम लोग,
तामीर ए गुलिस्ताँ में लहू सब का है शामिल
है फ़ख़्र कि इस मुल्क के मेमार हैं हम लोग,
तफ़रीक़ ओ तअस्सुब के जो हामी हैं अभी तक
अब उन के लिए बरसर ए पैकार हैं हम लोग,
जो बात कही जब भी सर ए दार कही है
ग़द्दार नहीं साहिब ए किरदार हैं हम लोग,
तक़्सीम हमें करने की जुरअत भी न करना
ऐ फ़ित्नागरो अज़्म की दीवार हैं हम लोग,
हम ने ही जिन्हें रस्म ए वफ़ादारी सिखाई
अब वो हमें कहने लगे ग़द्दार हैं हम लोग,
मज़हब न किसी ज़ात न सरहद से है मतलब
मज़लूम कोई भी हो मददगार हैं हम लोग,
यकजेहती की ताक़त पे तरब नाज़ है हम को
वक़्त आने दो दिखलाएँगे तैयार हैं हम लोग..!!
~तरब सिद्दीक़ी
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