हर एक ने कहा क्यूँ तुझे आराम न आया

हर एक ने कहा क्यूँ तुझे आराम न आया
सुनते रहे हम लब पे तेरा नाम न आया,

दीवाने को तकती हैं तेरे शहर की गलियाँ
निकला तो इधर लौट के बदनाम न आया,

मत पूछ कि हम ज़ब्त की किस राह से गुज़रे
ये देख कि तुझ पर कोई इल्ज़ाम न आया,

क्या जानिए क्या बीत गई दिन के सफ़र में
वो मुंतज़िर ए शाम सर ए शाम न आया,

ये तिश्नगियाँ कल भी थीं और आज भी ज़ैदी
उस होंठ का साया भी मेरे काम न आया..!!

~मुस्तफ़ा ज़ैदी


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