हालत ए हाल के सबब हालत ए हाल ही गई
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई,
तेरा फ़िराक़ जान ए जाँ ऐश था क्या मेंरे लिए
यानी तेरे फ़िराक़ में ख़ूब शराब पी गई,
तेरे विसाल के लिए अपने कमाल के लिए
हालत ए दिल कि थी ख़राब और ख़राब की गई
उसकी उमीद ए नाज़ का हम से ये मान था कि आप
उम्र गुज़ार दीजिए उम्र गुज़ार दी गई,
एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई,
बाद भी तेरे जान ए जाँ दिल में रहा अजब समाँ
याद रही तेरी यहाँ फिर तेरी याद भी गई,
उस के बदन को दी नुमूद हम ने सुख़न में और फिर
उस के बदन के वास्ते एक क़बा भी सी गई,
मीना ब मीना मय ब मय जाम ब जाम जम ब जम
नाफ़ पियाले की तेरे याद अजब सही गई,
कहनी है मुझ को एक बात आप से यानी आप से
आप के शहर ए वस्ल में लज़्ज़त ए हिज्र भी गई,
सेहन ए ख़याल ए यार में की न बसर शब ए फ़िराक़
जब से वो चाँदना गया जब से वो चाँदनी गई..!!
~जौन एलिया