दोस्तों के सितम की बात करो
बात ग़म की है ग़म की बात करो
सच्ची बातों के हो अगर क़ाइल
अपनी झूटी क़सम की बात करो
अपना काबा है कूचा ए जानाँ
हम से कू ए सनम की बात करो,
चाहते हो जो तुम दिलों का मिलाप
छोड़ के मैं को हम की बात करो,
जिन के नक़्श ए क़दम हैं राहनुमा
उन के नक़्श ए क़दम की बात करो,
दर्द जिस ने दिया है बहर ए ख़ुदा
उस निगाह ए करम की बात करो,
बात अश्क ए वफ़ा की है यारो
पुरनम ए दीदा नम की बात करो..!!
~पुरनम इलाहाबादी
Discover more from Hindi Gazals :: हिंदी ग़ज़लें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.