दिल के बहलाने की तदबीर तो है

दिल के बहलाने की तदबीर तो है
तू नहीं है तेरी तस्वीर तो है,

हमसफ़र छोड़ गए मुझ को तो क्या
साथ मेरे मेरी तक़दीर तो है,

क़ैद से छूट के भी क्या पाया
आज भी पाँव में ज़ंजीर तो है,

क्या मजाल उन की न दें ख़त का जवाब
बात कुछ बाइस ए ताख़ीर तो है,

पुर्सिश ए हाल को वो आ ही गए
कुछ भी हो इश्क़ में तासीर तो है,

ग़म की दुनिया रहे आबाद शकील
मुफ़्लिसी में कोई जागीर तो है..!!

~शकील बदायूनी

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