चर्चा है आज बस यही हर एक ज़बान पर
जल्दी बनेगी फ़िल्म मेंरी दास्तान पर,
मैंने जमा के रखे हैं धरती पे अपने पाँव
नज़रें टिकी हुईं हैं भले आसमान पर,
इस ओर रुख़ भी करते हुए डर रहे थे लोग
क़ब्ज़ा न कर सका कोई दिल के मकान पर,
इस बात पर रिसर्च करेंगे कि आख़िरश
क्यों तीर का निशाँ है दिल के निशान पर,
अगयात जब से ग़म ने है घुसपैठ दिल में की
बन आई है तभी से तो ख़ुशियों की जान पर..!!
~अजय अज्ञात

























