दरख्तों से गिरे सूखे हुए पत्ते भी ये इक़रार करते हैं

darakhton se gire sukhe hue patte

दरख्तों से गिरे सूखे हुए पत्ते भी ये इक़रार करते हैं जिन्हें कल तक मुहब्बत थी वो अब

ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से

zakhmon ko rafoo kar le

ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से ख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद करें फिर से,

सज सँवर कर रहा करो अच्छी लगती हो

saj sanvar ke raha karo achchi lagti ho

सज सँवर कर रहा करो अच्छी लगती हो झुमके, बालियाँ, पाज़ेब पहना करो अच्छी लगती हो, मुस्कुराते लब

ख़िज़ाँ रसीदा चमन में अक्सर

khijaan rasidaa chaman me aksar

ख़िज़ाँ रसीदा चमन में अक्सर खिला खिला सा गुलाब देखा, गज़ब का हुस्न ओ शबाब देखा ज़मीन पर

आसमान से इनायतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं

aasmaan se inayaten naa tujhe mili naa mujhe mili

आसमान से इनायतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं मुहब्बतों से राहतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं,

किस क़दर साहब ए क़िरदार समझते हैं मुझे

kis qadar sahab e kirdar samjhte hai mujhe

किस क़दर साहब ए क़िरदार समझते हैं मुझे मुझको था ज़ो’म मेरे यार समझते हैं मुझे, अब तो

बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े

baar e gam e hayat uthaya to

बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े जब ज़ीस्त ने मजाक उड़ाया तो रो पड़े, रहता

बताओ कौन कहता है ? मुहब्बत बस कहानी है

bataao kaun kahta hai muhabbat bas kahani hai

बताओ कौन कहता है ? मुहब्बत बस कहानी है मुहब्बत तो सहीफ़ा है, मुहब्बत आसमानी है, मुहब्बत को

नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई

neend nahi aati kitni akeli ho gai

नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई रफ़ू करते करते ज़िन्दगी पहेली हो गई, ये हसरतें भी ख़्वाब

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी