लाख रहे शहरों में फिर भी अन्दर से देहाती थे

laakh rahe shaharon me fir bhi

लाख रहे शहरों में फिर भी अन्दर से देहाती थे दिल के अच्छे लोग थे लेकिन थोड़े से

कौन मुन्सफ़, कहाँ इंसाफ़, किधर का दस्तूर

kaun munsaf kahan insaf

कौन मुन्सफ़, कहाँ इंसाफ़, किधर का दस्तूर अब ये मिज़ान सजावट के सिवा कुछ भी नहीं, अदालत की

अपनी ख़ुद्दारी तो पामाल नहीं कर सकते

apni khuddari to pamaal nahi kar sakte

अपनी ख़ुद्दारी तो पामाल नहीं कर सकते उस का नंबर है मगर काल नहीं कर सकते, सीम जाएगा

होशियारी ये दिल ए नादान बहुत करता है

hoshiyari ye dil e nadaan

होशियारी ये दिल ए नादान बहुत करता है रंज कम सहता है पर ऐलान बहुत करता है, रात

बारहा तुझ से कहा था मुझे अपना न बना

baaraha tujh se kaa tha

बारहा तुझ से कहा था मुझे अपना न बना अब मुझे छोड़ के दुनिया में तमाशा न बना,

अब बेवजह बेसबब दिन को रात नहीं करता

ab bewajah besabab din ko

अब बेवजह बेसबब दिन को रात नहीं करता फ़ुर्सत मिले भी तो किसी से बात नहीं करता, वक़्त,

याद ए माज़ी में जो आँखों को सज़ा दी जाए

yaad e maazi me jo khud k

याद ए माज़ी में जो आँखों को सज़ा दी जाए उस से बेहतर है कि हर बात भूला

इंसाफ़ से न महरूम अब कोई शख्स रहेगा

insaaf se na mahrum

इंसाफ़ से न महरूम अब कोई शख्स रहेगा दुनियाँ में जो जैसा करेगा, वो वैसा ही भरेगा, कागज़

ख़ुदा से वक़्त ए दुआ हम सवाल कर बैठे

khuda se waqt e dua

ख़ुदा से वक़्त ए दुआ हम सवाल कर बैठे वो बुत भी दिल को ज़रा अब संभाल कर

ख़ून से लिखता है तावीज़ ए अजल काग़ज़ पर

khoon se likhta hai taavij e azal

ख़ून से लिखता है तावीज़ ए अजल काग़ज़ पर वक़्त करता है अजब सिफली अमल काग़ज़ पर, रंज