क्या मिला और हुआ कितना ख़सारा सोचा

kya-mila-aur-hua

क्या मिला और हुआ कितना ख़सारा सोचा बाद मुद्दत के यही क़िस्सा दोबारा सोचा, रात फिर देर तलक

इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर…

इश्क़ जब एक मगरूर

इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर छोड़ कर अना ख़ुद को झुकाना पड़ा मुझे, उसने खेला

लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है

larzati-chhat-shikasta-baam

लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है मुझे तन्हाई में कुछ अपने घर से बात

उदास चाँद खुले पानियों में छोड़ गया

udas-chaand-khule-paaniyo

उदास चाँद खुले पानियों में छोड़ गया वो अपना चेहरा मेरे आँसूओ में छोड़ गया, हवा के झोंके

तेरे फ़िराक़ के लम्हे शुमार करते हुए

tere-firaq-ke-lamhe

तेरे फ़िराक़ के लम्हे शुमार करते हुए बिखर गए हैं तेरा इंतिज़ार करते हुए, तुम्हें ख़बर ही नहीं

सोचता हूँ कि उसे नींद भी आती होगी

sochta-hoon-ki-use

सोचता हूँ कि उसे नींद भी आती होगी या मेरी तरह फ़क़त अश्क बहाती होगी, वो मेरी शक्ल

समन्दर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

samandar-me-utarta-hoon

समन्दर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं तेरी आँखों को पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती

महफ़िल से मुझको उठाने के बाद

mahfil-se-mujhko-uthane

महफ़िल से मुझको उठाने के बाद क्या मिलेगा दिल दुखाने के बाद, आज तो देख लूँ मैं तुम्हे

अपने हो कर भी जो नहीं मिलते

apne-ho-kar-bhi

अपने हो कर भी जो नहीं मिलते दिल ये जा कर है क्यूँ वही मिलते ? यहाँ मिलती

यूँ बात बात पे कर के मुकालमा मुझसे

yun-baat-baat-pe

यूँ बात बात पे कर के मुकालमा मुझसे वो खुल रहा है मुसलसल ज़रा ज़रा मुझसे, मैं शाख