हर किसी की है ज़बानी दोस्ती

har kisi ki hai zabani dosti

हर किसी की है ज़बानी दोस्ती क्या किसी की आज़मानी दोस्ती, थे मुसाफ़िर दो अलग रस्तों के हम

मिल के बैठें तो हम कहीं पहले

mil ke baithe to hum kahin pahle

मिल के बैठें तो हम कहीं पहले बाँट लेते हैं क्यूँ ज़मीं पहले ? होगा तेरा भी एतिबार

अक़्ल की ऐसी ताबेदारी है

akl ki aisi taabedari hai

अक़्ल की ऐसी ताबेदारी है ख़्वाहिशों में भी इंकिसारी है, चल पड़ी है अजल की राहों पर ज़िंदगी

हैं मेरी परवाज़ के तेवर नए

hain meri parwaz ke tewar naye

हैं मेरी परवाज़ के तेवर नए साथ मेरे देखिए मंज़र नए, एक पुराने मयकदे में तिश्नगी ढूँढती है

कोई काबा न कलीसा न सनम मेरा है

koi qaaba na kalisa na sanam mera hai

कोई काबा न कलीसा न सनम मेरा है एक नए ख़्वाब की धरती पे क़दम मेरा है, सारी

अब आप रह ए दिल जो कुशादा नहीं रखते

ab aap rah e dil jo kushaada nahin

अब आप रह ए दिल जो कुशादा नहीं रखते हम भी सफ़र ए जाँ का इरादा नहीं रखते,

इस ख़ाकदाँ में अब तक बाक़ी हैं कुछ शरर से

is khaaqdaan me ab tak baaqi hai

इस ख़ाकदाँ में अब तक बाक़ी हैं कुछ शरर से दामन बचा के गुज़रो यादों की रहगुज़र से,

गूँजता है नाला ए महताब आधी रात को

goonjta hai naalaa e maahtab

गूँजता है नाला ए महताब आधी रात को टूट जाते हैं सुहाने ख़्वाब आधी रात को, भागते सायों

पर्दा ए शब की ओट में ज़ोहरा जमाल खो गए

parda e shab ki ot me zohra zamal

पर्दा ए शब की ओट में ज़ोहरा जमाल खो गए दिल का कँवल बुझा तो शहर तीरा ओ

दिल के वीराने में एक फूल खिला रहता है

dil ke veerane me ek phool khila

दिल के वीराने में एक फूल खिला रहता है कोई मौसम हो मेरा ज़ख़्म हरा रहता है, शब