घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है

ghar-me-thande-chulhe

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है

शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं

shaam-ko-jis-waqt

शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं मुस्कुरा देते है बच्चे और मर जाता हूँ

तुम्हे पूजता था दीया वो बुझा दूँ

tumhe-pujta-tha-diya

तुम्हे पूजता था दीया वो बुझा दूँ तुम्हारे बिना भी दुनियाँ बसा दूँ, सुनो इश्क़ में अब यही

जाने किस करनी का फल होगा

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जाने किस करनी का फल होगा कैसी फिजा, कैसे मौसम में जागे हम ? शहरों से सेहराओ तक

तुम्हारे हिज़्र में है ज़िन्दगी दुश्वार बरसो से

tumhare-hizr-me-hai

तुम्हारे हिज़्र में है ज़िन्दगी दुश्वार बरसो से तुम्हे मालूम क्या तुम हो समन्दर पार बरसों से, चले

किस ओर ये सफ़र है, संभल जाइए

kis-or-ye-safar

किस ओर ये सफ़र है, संभल जाइए कौन कब किस डगर है, संभल जाइए, नेक रस्ते पे चलते

हासिल हुई जब से आरज़ी शोहरते…

हासिल हुई जब से

हासिल हुई जब से आरज़ी शोहरते माल ओ ज़र के नशे में चूर हो गया, पा के ऊँचा

रोज़मर्रा वही एक ख़बर देखिए

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रोज़मर्रा वही एक ख़बर देखिए अब तो पत्थर हुआ काँचघर देखिए, सड़के चलने लगी आदमी रुक गया हो

हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा है

ham-pyas-ke-maaro-ka

हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा है आँखों में नदी लेकिन हाथो में किनारा है, दो

ये दिल टूट न जाए इस बात पर

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ये दिल टूट न जाए इस बात पर एक तरफ़ा ही ज़ोर लगाया मैंने, मेरे दिल की आवाज़