अपनों ने वो रंज दिए हैं बेगाने याद आते हैं

apno ne wo ranz diya hai begaane yaad aate hai

अपनों ने वो रंज दिए हैं बेगाने याद आते हैं देख के उस बस्ती की हालत वीराने याद

अफ़सोस तुम्हें कार के शीशे का हुआ है

afsos tumhe kaar ke shishe ka hua hai

अफ़सोस तुम्हें कार के शीशे का हुआ है परवाह नहीं एक माँ का जो दिल टूट गया है,

हिज़्र के मौसम में ये बारिश का बरसना…

hizr ke mausam me ye baarish ka barsana kaisa

हिज़्र के मौसम में ये बारिश का बरसना कैसा ? एक सहरा में समन्दर का गुज़रना कैसा ?

आज सीलिंग फैन से लटकी हुई है

aaj sealing fain se latki hui hai

आज सीलिंग फैन से लटकी हुई है ये मुहब्बत किस कदर भटकी हुई है, गैरो के कंधो पर

पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के…

paa sake na sukun jo jite ji wo mar ke kahan payenge

पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के कहाँ पाएँगे शहर के बेचैन परिंदे फिर लौट

नहीं होती अगर बारिश तो पत्थर हो…

nahi hoti agar barish to patthar ho gaye hote

नहीं होती अगर बारिश तो पत्थर हो गए होते ये सारे लहलहाते खेत बंज़र हो गए होते, तेरे

सहर ने अंधी गली की तरफ़ नहीं देखा

sahar ne andhi gali ki taraf nahi dekha

सहर ने अंधी गली की तरफ़ नहीं देखा जिसे तलब थी उसी की तरफ़ नहीं देखा, क़लक़ था

ये जो पल है ये पिछले पल से भी भारी है

ye jo pal hai ye pichle pal se bhari hai

ये जो पल है ये पिछले पल से भी भारी है हमसे पूछो हमने ज़िन्दगी कैसे गुज़ारी है,

हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिखा है

hamare dil pe zakhmo ka jo bab likha hai

हमारे दिल पे जो ज़ख़्मों का बाब लिखा है इसी में वक़्त का सारा हिसाब लिखा है, कुछ

एक मकाँ और बुलंदी पे बनाने न दिया

ek maqaan aur bulandi pe banane na diya

एक मकाँ और बुलंदी पे बनाने न दिया हमको परवाज़ का मौक़ा ही हवा ने न दिया, तू