मुझे इतना प्यार न दो बाबा
बेटी का दर्द… मुझे इतना प्यार न दो बाबा कल जितना मुझे नसीब न हो, ये जो माथा
Sad Poetry
बेटी का दर्द… मुझे इतना प्यार न दो बाबा कल जितना मुझे नसीब न हो, ये जो माथा
चिड़ियाँ होती है बेटियाँ मगर पंख नहीं होते बेटियों के, मायके भी होते है,ससराल भी होते है मगर
अश्क आँखों में छुपाते हुए थक जाता हूँ बोझ पानी का उठाते हुए थक जाता हूँ, पाँव रखते
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर नहीं, आ जाएँ
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो आँख सच बोलती हैं प्यार छुपाया न करो, लोग
उसे कहना बिछड़ने से मुहब्बत तो नहीं मरती बिछड़ जाना मुहब्बत की सदाकत की अलामत है मुहब्बत एक
कभी याद आऊँ तो पूछना ज़रा अपनी फ़ुर्सत ए शाम से किसे इश्क़ था तेरी ज़ात से किसे
चाँद यूँ कुछ देर को आते हो चले जाते हो मेरी नज़रों से छुप कर बादलो में शरमाते
मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए लोगो को जीतते
इस तसल्ली से बरसते है आँसू तेरे सामने कि तेरा हाथ मेरे रुखसार को तो आएगा, तेरे चाहने