कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में…

kahan-le-jaaoon-dil

कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है यहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की

ये जो हासिल हमें हर शय की फ़रावानी है

ye-jo-hasil-hame

ये जो हासिल हमें हर शय की फ़रावानी है ये भी तो अपनी जगह एक परेशानी है, ज़िंदगी

बुझ गई आँख तेरा इंतज़ार करते करते

bujh-gayi-aankh-tera

बुझ गई आँख तेरा इंतज़ार करते करते टूट गए हम एक तरफ़ा प्यार करते करते, क़यामत है इज़हार

ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते

ye-aur-baat-hai

ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं भरा नहीं करते,

तेरा ये लुत्फ़ किसी ज़ख़्म का उन्वान न हो

tera-ye-lutf-kisi

तेरा ये लुत्फ़ किसी ज़ख़्म का उन्वान न हो ये जो साहिल सा नज़र आता है तूफ़ान न

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र…

hai-azib-shahar-ki

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बदमिज़ाज सी

वहशतें बिखरी पड़ी है जिस तरफ़ भी…

wahshate-bikhri-padi-hai

वहशतें बिखरी पड़ी है जिस तरफ़ भी जाऊँ मैं घूम फिर आया हूँ अपना शहर तेरा गाँव मैं,

क्या शर्त ए मुहब्बत है, क्या शर्त…

kya-shart-e-muhabbat

क्या शर्त ए मुहब्बत है, क्या शर्त ए ज़माना है ! आवाज़ भी ज़ख़्मी है मगर गीत भी

काँटो का एक मकान मेरे पास रह गया

kaanto-ka-ek-maqan

काँटो का एक मकान मेरे पास रह गया एक फूल सा निशान मेरे पास रह गया, सामान तू

दश्त की धूप है जंगल की घनी रातें हैं

dasht-ki-dhoop-hai

दश्त की धूप है जंगल की घनी रातें हैं इस कहानी में बहर हाल कई बातें हैं, गो