सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की
सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की मगर ये ज़ख़्म कि हसरत है जिसके भरने की, हमारे
Sad Poetry
सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की मगर ये ज़ख़्म कि हसरत है जिसके भरने की, हमारे
अकेले रहने की सजा कबूल कर गलती तुमने की है मुझ पर यूँ ऐतबार न करने में भी
ख़्वाब दिखाने वाले से होशियार रहो जादूगर की चालो से होशियार रहो, गाफ़िल ज़रा हुए तो सर कट
गूँगे लफ़्ज़ों का ये बेसम्त सफ़र मेरा है गुफ़्तुगू उसकी है लहजे में असर मेरा है, मैं ने
भीड़ में कोई शनासा भी नहीं छोड़ती है ज़िंदगी मुझको अकेला भी नहीं छोड़ती है, आफ़ियत का कोई
मैंने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है रात खिलने का गुलाबों से महक आने का, ओस की
हाए लोगों की करम फ़रमाइयाँ तोहमतें बदनामियाँ रुस्वाइयाँ, ज़िंदगी शायद इसी का नाम है दूरियाँ, मजबूरियाँ, तन्हाइयाँ, क्या
कहानी दर्द ओ गम की ज़िन्दगी से क्या कहता ? सबब ए रंज़ ओ गम जो है उसी
दिल की बस्ती पे किसी दर्द का साया भी नहीं ऐसा वीरानी का मौसम कभी आया भी नहीं,
फ़िराक़ ओ वस्ल से हट कर कोई रिश्ता हमारा हो बग़ैर उस के भी शायद ज़िंदगी हमको गवारा