मेरे नसीब का लिखा बदल भी सकता था

mere-nasib-ka-likha

मेरे नसीब का लिखा बदल भी सकता था वो चाहता तो मेंरे साथ चल भी सकता था, ये

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता

ye na thi humari

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता, तेरे

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा

Aankhon me raha dil

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा, बेवक़्त अगर

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

Kitne Aish se rahte

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे,

कोई उम्मीद बर नहीं आती

Koi ummid bar nahin

कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती, मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यूँ

इशरत ए क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना

Ishrat e qatra hai

इशरत ए क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना,

न घर है कोई, न सामान कुछ रहा बाक़ी

naa-ghar-hai-koi

न घर है कोई, न सामान कुछ रहा बाक़ी नहीं है कोई भी दुनिया में सिलसिला बाक़ी, ये

पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम पत्थर के ही इंसाँ पाए हैं

Patthar ke khuda patthar

पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम पत्थर के ही इंसाँ पाए हैं तुम शहर ए मोहब्बत कहते हो

किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

kisi ranjish ko hawa

किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी मुझको एहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ

बख़्श दे कुछ तो एतिबार मुझे

Bakhsh de kuch to

बख़्श दे कुछ तो एतिबार मुझे प्यार से देख चश्म ए यार मुझे, रात भी चाँद भी समुंदर