भीतर भीतर आग भरी है बाहर बाहर पानी है

bhitar-bhitar-aag-bhari

भीतर भीतर आग भरी है बाहर बाहर पानी है तेरी मेरी, मेरी तेरी सब की यही कहानी है,

खून में डूबी सियासत नहीं देखी जाती

khoon-me-dubi-siyasat

खून में डूबी सियासत नहीं देखी जाती हमसे अब देश की हालत नहीं देखी जाती, उनके चेहरों से

दरिन्दे खून बहने का इंतज़ार करेंगे

darinde-khoon-bahne-ka

दरिन्दे खून बहने का इंतज़ार करेंगे भरे पेट वाले अब भूखो पे वार करेंगे, वतन में क़त्ल ए

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है….

kya aandhiya badi aane wali hai

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है क्या कुछ बुरा होने वाला है ? इन्सान पहले से कुछ नहीं

मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब…

sone ki chidiya ko bhi khada kar diya bhookhe nange ki qataro me

मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब इज्ज़त बख्शी है आलमी अखबारों ने   सोने की चिड़िया

तुख़्म ए नफ़रत बो रहा है आदमी…

tukhm e nafrat bo raha hai aadmi

तुख़्म ए नफ़रत बो रहा है आदमी आदमियत खो रहा है आदमी, ज़िंदगी का नाम है जेहद ए

ये नफ़रतो की सदाएँ, वतन का क्या होगा ?

is bahte hue lahoo me

ये नफ़रतो की सदाएँ, वतन का क्या होगा ? हवा में आग बही, तो चमन का क्या होगा

मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है…

main dahshatgard tha marne pe beta bol sakta hai

मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है,

ये संसद है यहाँ भगवान का भी बस नहीं चलता…

ye sansad hai yahan bhagwan ka bhi bas nahi chalta

ये संसद है यहाँ भगवान का भी बस नहीं चलता जहाँ पीतल ही पीतल हो वहाँ पारस नहीं

आज कुछ बात है जो ज़िद पे अड़े हैं कुत्ते…

aaj kuch baat hai jo zidd pe ade hai kutte

आज कुछ बात है जो ज़िद पे अड़े हैं कुत्ते जाने क्यूँ अपने ही मालिक पे चढ़े हैं