आग है फैली हुई काली घटाओं की जगह

aag hai faili hui kaali ghataaon ki tarah

आग है फैली हुई काली घटाओं की जगह बद दुआएँ हैं लबों पर अब दुआओं की जगह, इंतिख़ाब

वतन नसीब कहाँ अपनी क़िस्मतें होंगी

vatan nasib kahan apni qismate hongi

वतन नसीब कहाँ अपनी क़िस्मतें होंगी जहाँ भी जाएँगे हम साथ हिजरतें होंगी, कभी तो साहिब ए दीवार

ज़ुल्फ़, अँगड़ाई, तबस्सुम, चाँद, आईना…

zulf angdaai chaand tabassum aaina gulab

ज़ुल्फ़, अँगड़ाई, तबस्सुम, चाँद, आईना, गुलाब भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इन सब का शबाब, पेट के

न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के…

naa mahlon ki bulandi se naa lafzo ke nagine se

न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के नगीने से तमद्दुन में निखार आता है घीसू के पसीने

मुझको अपने बैंक की क़िताब दीजिए

mujhko apne bank ki kitab dijiye

मुझको अपने बैंक की क़िताब दीजिए देश की तबाही का हिसाब दीजिए, गाँव गाँव ज़ख़्मी फिजाएँ हो गई

हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है

haqir jaanta hai iftikhar maangta hai

हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है वो ज़हर बाँटता है और प्यार माँगता है, ज़लील कर के रख

धरती पर जब ख़ूँ बहता है बादल…

dharti par jab khoon bahta hai badal rone lagta hai

धरती पर जब ख़ूँ बहता है बादल रोने लगता है देख के शहरों की वीरानी जंगल रोने लगता

बड़ा बेशर्म ज़ालिम है, बड़ी बेहिस…

bada besharm zalim hai badi behis fitrat hai

बड़ा बेशर्म ज़ालिम है, बड़ी बेहिस फ़ितरत है उसको कहाँ पता हया क्या ? क्या शराफ़त है, हमें

ना मस्ज़िदे ना शिवाले तलाश करते है

naa-maszide-naa-shiwale

ना मस्ज़िदे ना शिवाले तलाश करते है ये भूखे पेट निवाले तलाश करते है, हमारी सादा दिली देखो

क़ुदरत का करिश्मा भी क्या बेमिसाल है

qudrat-ka-karishma-bhi

क़ुदरत का करिश्मा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफ़ेद काले पर खून सबका लाल है, हिन्दू है यहाँ