नज़र आ रहे हैं जो तन्हा से हम
नज़र आ रहे हैं जो तन्हा से हम सो यूँ है कि भर पाए दुनिया से हम, न
Poetries
नज़र आ रहे हैं जो तन्हा से हम सो यूँ है कि भर पाए दुनिया से हम, न
ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा ये हैरत का मकाँ कब तक रहेगा ? नज़र कब आश्ना ए
जिसके साथ अपनी माँ की दुआएँ होती है उसके मुक़द्दर में जन्नत की हवाएँ होती है, जिसे माँ
जो कहीं ना मिले वो ख़ुशी चाहिए दर्द चाहे कैसा भी हो बंदगी चाहिए, मुझे अब ख्वाहिश ए
एक चेहरे पर रोज़ गुज़ारा होता है प्यार किसी को कब दोबारा होता है मैं तुम पर हर
ये नहर ए आब भी उस की है मुल्क ए शाम उस का जो हश्र मुझ पे बपा
वो बख्शता है गुनाह ए अज़ीम भी लेकिन हमारी छोटी सी नेकी संभाल रखता है, हम उसे भूल
किसी की ना सुनिए ख़ुद की सुनाते जाइए आप जो है ख़ुद वही सबको बनाते जाइए, मुर्दा ज़मीरो
तुम्हारे आँसू कभी बहने न देंगे तुम्हे इस तरह उदास रहने न देंगे, तेरी नज़रों में हम बेवफ़ा
क्या करे मेरी मसीहाई भी करने वाला ? ज़ख़्म ही ये मुझे लगता नहीं भरने वाला, ज़िंदगी से