सब जल गया जलते हुए ख़्वाबों के असर से
सब जल गया जलते हुए ख़्वाबों के असर से उठता है धुआँ दिल से निगाहों से जिगर से,
Poetries
सब जल गया जलते हुए ख़्वाबों के असर से उठता है धुआँ दिल से निगाहों से जिगर से,
बेख़बर दुनिया को रहने दो ख़बर करते हो क्यूँ दोस्तो मेरे दुखों को मुश्तहर करते हो क्यूँ ?
नहीं बदलता यहाँ कुछ भी आरज़ू से फ़क़त नहीं बदलता यहाँ कुछ भी जुस्तजू से फ़क़त, मुझे यक़ीन
कभी फूलों कभी खारों से बचना कभी रक़ीब कभी यारों से बचना, जान बुझ कर धोखा न खा
हमारे जैसे तुम्हे ख़राबो में मिलेंगे धुल पड़ी कहीं किताबो में मिलेंगे, ज़फागर से किये वफ़ाओ में मिलेंगे
ये किसका कर रहा है इंतज़ार आदमी जब ख़ुद ही ला सकता है बहार आदमी, मिलता नहीं मुफ़्त
दर्द हो या कि रंज़ ओ गम हर हाल में मुस्कुराते चलो गैरों की ख़ुशी की खातिर रस्म
जला के मिशअल ए जाँ हम जुनूँ सिफ़ात चले जो घर को आग लगाए हमारे साथ चले, दयार
यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो अपने ही गले के लिए तलवार न माँगो, गिर जाओगे
ये दौर ए ख़िरद है दौर ए जुनूँ इस दौर में जीना मुश्किल है अँगूर की मय के