क़ुदरत का करिश्मा भी क्या बेमिसाल है

qudrat-ka-karishma-bhi

क़ुदरत का करिश्मा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफ़ेद काले पर खून सबका लाल है, हिन्दू है यहाँ

ये क़ुदरत भी अब तबाही की हुई शौक़ीन लगती है

ye-qudrat-bhi-ab

ये क़ुदरत भी अब तबाही की हुई शौक़ीन लगती है ऐ दौर ए ज़दीद साज़िश तेरी बहुत संगीन

बात अब करते है क़तरे भी समंदर की तरह

baat-ab-karte-hai

बात अब करते है क़तरे भी समंदर की तरह लोग ईमान बदलते है कलेंडर की तरह, कोई मंज़िल

हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा है

ham-pyas-ke-maaro-ka

हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा है आँखों में नदी लेकिन हाथो में किनारा है, दो

ये दिल टूट न जाए इस बात पर

ye-dil-tut-na

ये दिल टूट न जाए इस बात पर एक तरफ़ा ही ज़ोर लगाया मैंने, मेरे दिल की आवाज़

क्यूँ खौफ़ इस क़दर है तुम्हे हादसात का ?

kyun-khauf-is-qadar

क्यूँ खौफ़ इस क़दर है तुम्हे हादसात का ? एक दिन ख़ुदा दिखाएगा रास्ता निज़ात का, ये तजरुबा

वो एक लफ़्ज़ जो बेसदा जाएगा

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वो एक लफ़्ज़ जो बेसदा जाएगा वही मुद्दतों तक सुना जाएगा, कोई है जो मेरे तआक़ुब में है

मुक़द्दर ने कहाँ कोई नया पैग़ाम लिखा है

muqaddar-ne-kahan-koi

मुक़द्दर ने कहाँ कोई नया पैग़ाम लिखा है अज़ल ही से वरक़ पर दिल के तेरा नाम लिखा

मुझे तन्हाई के ग़म से बचा लेते तो अच्छा था

mujhe-tanhaai-ke-gam

मुझे तन्हाई के ग़म से बचा लेते तो अच्छा था सफ़र में हमसफ़र अपना बना लेते तो अच्छा

सुबह तक मैं सोचता हूँ शाम से

subah-tak-sochta-hoon

सुबह तक मैं सोचता हूँ शाम से जी रहा है कौन मेरे नाम से, शहर में सच बोलता