ज़माना आया है बेहिजाबी का आम दीदार ए यार होगा

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ज़माना आया है बेहिजाबी का आम दीदार ए यार होगा सुकूत था पर्दादार जिसका वो राज़ अब आश्कार

जाने किस करनी का फल होगा

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जाने किस करनी का फल होगा कैसी फिजा, कैसे मौसम में जागे हम ? शहरों से सेहराओ तक

ना मस्ज़िदे ना शिवाले तलाश करते है

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ना मस्ज़िदे ना शिवाले तलाश करते है ये भूखे पेट निवाले तलाश करते है, हमारी सादा दिली देखो

तुम्हारे हिज़्र में है ज़िन्दगी दुश्वार बरसो से

tumhare-hizr-me-hai

तुम्हारे हिज़्र में है ज़िन्दगी दुश्वार बरसो से तुम्हे मालूम क्या तुम हो समन्दर पार बरसों से, चले

राहत ए जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है

rahat-e-jaan-se

राहत ए जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है उस ने पूछा तो है इतना तेरा

किस ओर ये सफ़र है, संभल जाइए

kis-or-ye-safar

किस ओर ये सफ़र है, संभल जाइए कौन कब किस डगर है, संभल जाइए, नेक रस्ते पे चलते

तसव्वुर में भी जिसकी जुस्तुजू करता है दिल मेरा

tasavvur-me-bhi-jiski

तसव्वुर में भी जिसकी जुस्तुजू करता है दिल मेरा उसी से हिज्र में भी गुफ़्तुगू करता है दिल

हासिल हुई जब से आरज़ी शोहरते…

हासिल हुई जब से

हासिल हुई जब से आरज़ी शोहरते माल ओ ज़र के नशे में चूर हो गया, पा के ऊँचा

रोज़मर्रा वही एक ख़बर देखिए

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रोज़मर्रा वही एक ख़बर देखिए अब तो पत्थर हुआ काँचघर देखिए, सड़के चलने लगी आदमी रुक गया हो

एक निहत्थे आदमी के हाथ में क़िस्मत ही काफी है

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एक निहत्थे आदमी के हाथ में क़िस्मत ही काफी है हवाओं का रुख बदलने के लिए चाहत ही