बुझ गई आँख तेरा इंतज़ार करते करते

bujh-gayi-aankh-tera

बुझ गई आँख तेरा इंतज़ार करते करते टूट गए हम एक तरफ़ा प्यार करते करते, क़यामत है इज़हार

ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते

ye-aur-baat-hai

ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं भरा नहीं करते,

थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी

the-khwab-ek-hamare

थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी पर अपना खेल दिखाते रहे सितारे भी, ये ज़िंदगी है

तेरा ये लुत्फ़ किसी ज़ख़्म का उन्वान न हो

tera-ye-lutf-kisi

तेरा ये लुत्फ़ किसी ज़ख़्म का उन्वान न हो ये जो साहिल सा नज़र आता है तूफ़ान न

जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे…

jahan-ped-par-chaar

जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे हज़ारों तरफ़ से निशाने लगे, हुई शाम यादों के एक गाँव में

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र…

hai-azib-shahar-ki

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बदमिज़ाज सी

वहशतें बिखरी पड़ी है जिस तरफ़ भी…

wahshate-bikhri-padi-hai

वहशतें बिखरी पड़ी है जिस तरफ़ भी जाऊँ मैं घूम फिर आया हूँ अपना शहर तेरा गाँव मैं,

क्या शर्त ए मुहब्बत है, क्या शर्त…

kya-shart-e-muhabbat

क्या शर्त ए मुहब्बत है, क्या शर्त ए ज़माना है ! आवाज़ भी ज़ख़्मी है मगर गीत भी

काँटो का एक मकान मेरे पास रह गया

kaanto-ka-ek-maqan

काँटो का एक मकान मेरे पास रह गया एक फूल सा निशान मेरे पास रह गया, सामान तू

मुश्किल दिन भी आए लेकिन फ़र्क़….

मुश्किल दिन भी आए

मुश्किल दिन भी आए लेकिन फ़र्क़ न आया यारी में हम ने पूरी जान लगाई उस की ताबेदारी