दो चार क्या हैं सारे ज़माने के बावजूद

do chaar kya hai saare zamane ke bawazood

दो चार क्या हैं सारे ज़माने के बावजूद हम मिट नहीं सकेंगे मिटाने के बावजूद, ये राज़ काश

हाल ए दिल सब से छुपाने में…

haal e dil sab se chhupane me maza aata hai

हाल ए दिल सब से छुपाने में मज़ा आता है आप पूछें तो बताने में मज़ा आता है,

बड़ा बेशर्म ज़ालिम है, बड़ी बेहिस…

bada besharm zalim hai badi behis fitrat hai

बड़ा बेशर्म ज़ालिम है, बड़ी बेहिस फ़ितरत है उसको कहाँ पता हया क्या ? क्या शराफ़त है, हमें

कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में

kahin pade na mohabbat ki maar holi me

कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में अदा से प्रेम करो दिल से प्यार होली में, गले

अगर आज भी बोली ठोली न होगी

agar-aaj-bhi-boli

अगर आज भी बोली ठोली न होगी तो होली ठिकाने की होली न होगी, बड़ी गालियाँ देगा फागुन

दिल में उठती है मसर्रत की लहर होली में

dil me uthti hai masarrat ki lahar holi me

दिल में उठती है मसर्रत की लहर होली में मस्तियाँ झूमती हैं शाम ओ सहर होली में, सारे

ये नूर उतरेगा आख़िर ग़ुरूर उतरेगा

ye noor utrega aakhir gurur utrega

ये नूर उतरेगा आख़िर ग़ुरूर उतरेगा जनाब उतरेगा बंदा हुज़ूर उतरेगा, जो चढ़ गया है वो ऊपर नहीं

तबीब हो के भी दिल की दवा नहीं करते

tabib ho ke bhi dil ki dawa nahi karte

तबीब हो के भी दिल की दवा नहीं करते हम अपने ज़ख़्मों से कोई दग़ा नहीं करते, परिंदे

दो चार गाम राह को हमवार देखना

do chhar gaam raah ko hamwar dekhna

दो चार गाम राह को हमवार देखना फिर हर क़दम पे एक नई दीवार देखना, आँखों की रौशनी

दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ

duniya ki riwayat se begana nahi hoon

दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ, इस कसरत ए