मुझको अपने बैंक की क़िताब दीजिए

mujhko apne bank ki kitab dijiye

मुझको अपने बैंक की क़िताब दीजिए देश की तबाही का हिसाब दीजिए, गाँव गाँव ज़ख़्मी फिजाएँ हो गई

जिसे हो ख्वाहिश ए दुनियाँ उसे…

jise ho khwahish e duniyan use sansar mil jaaye

जिसे हो ख्वाहिश ए दुनियाँ उसे संसार मिल जाए मुझे तो फक़त तुम और तुम्हारा प्यार मिल जाए,

सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको

saari basti me jaadoo nazar aaye mujhko

सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको, सदियों का

दुनियाँ बदल गई है, ज़माना बदल गया है

duniyan badl gai hai zamana badal gaya hai

दुनियाँ बदल गई है, ज़माना बदल गया है यहाँ जीने का अंदाज़ पुराना बदल गया है, दोस्त अहबाब

गूँगे लफ़्ज़ों का ये बेसम्त सफ़र मेरा है

googne lafzon ka ye besamt safar mera hai

गूँगे लफ़्ज़ों का ये बेसम्त सफ़र मेरा है गुफ़्तुगू उसकी है लहजे में असर मेरा है, मैं ने

भीड़ में कोई शनासा भी नहीं छोड़ती है

bhid me koi shanasa bhi nahi chhodti hai

भीड़ में कोई शनासा भी नहीं छोड़ती है ज़िंदगी मुझको अकेला भी नहीं छोड़ती है, आफ़ियत का कोई

ऐ यक़ीनों के ख़ुदा शहर ए गुमाँ…

ae yaqino ke khuda shahar e gumaan kis ka hai

ऐ यक़ीनों के ख़ुदा शहर ए गुमाँ किस का है नूर तेरा है चराग़ों में धुआँ किस का

उस गुल को भेजना है मुझे ख़त…

us gul ko bhejna hai mujhe khat saba ke saath

उस गुल को भेजना है मुझे ख़त सबा के हाथ इस वास्ते लगा हूँ चमन की हवा के

मैंने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है

maine muddat se koi khwab nahi dekha hai

मैंने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है रात खिलने का गुलाबों से महक आने का, ओस की

हाए लोगों की करम फ़रमाइयाँ…

haay logo ki karam farmaaiyan

हाए लोगों की करम फ़रमाइयाँ तोहमतें बदनामियाँ रुस्वाइयाँ, ज़िंदगी शायद इसी का नाम है दूरियाँ, मजबूरियाँ, तन्हाइयाँ, क्या