हर आह ग़म ए दिल की ग़म्माज़ नहीं होती

har aah e gam dil

हर आह ग़म ए दिल की ग़म्माज़ नहीं होती और वाह मसर्रत का आग़ाज़ नहीं होती, जो रोक

हम से दीवानों को असरी आगही डसती रही

ham se deewanon ko asari

हम से दीवानों को असरी आगही डसती रही खोखली तहज़ीब की फ़र्ज़ानगी डसती रही, शोला ए नफ़रत तो

ग़ैरत ए इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी

gairat e ishq salamat thi ana zinda thi

ग़ैरत ए इश्क़ सलामत थी अना ज़िंदा थी वो भी दिन थे कि रह ओ रस्म ए वफ़ा

क्यूँ न फिर से दौर ए क़दीम में जाया जाए ?

kyun na fir se daur e qadeem men jaya jaaye

क्यूँ न फिर से दौर ए क़दीम में जाया जाए ? माँग कर आग घर का चूल्हा जलाया

बहुत ख़राब रहा इस दौर मे

bahut kharab raha is daur men

बहुत ख़राब रहा इस दौर मे एक क़ौम का अच्छा होना, रास ना आया मनहूसों को क़ौम का

धड़कनें बन के जो सीने में रहा करता था

dhadkane ban ke jo sine men

धड़कनें बन के जो सीने में रहा करता था क्या अजब शख़्स था जो मुझ में जिया करता

किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता

kisi jhuthin wafa se dil ko

किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता मुझे घर काग़ज़ी फूलों से महकाना नहीं आता, मैं

दिल की इस दौर में क़ीमत नहीं होती शायद

dil ki is daur men

दिल की इस दौर में क़ीमत नहीं होती शायद सब की क़िस्मत में मुहब्बत नहीं होती शायद, फ़ैसला

सफ़र ए वफ़ा की राह में मंज़िल जफा की थी

safar e wafa ki raah men

सफ़र ए वफ़ा की राह में मंज़िल जफा की थी कागज़ का घर बना के भी ख्वाहिश हवा

ऐ नए साल बता तुझ में नयापन क्या है ?

ae naye saal bata tujh me nayapan kya hai

ऐ नए साल बता तुझ में नयापन क्या है ? हर तरफ़ ख़ल्क़ ने क्यों शोर मचा रखा