एक बीवी कई साले हैं ख़ुदा ख़ैर करे
एक बीवी कई साले हैं ख़ुदा ख़ैर करे खाल सब खींचने वाले हैं ख़ुदा ख़ैर करे, तन के
Occassional Poetry
एक बीवी कई साले हैं ख़ुदा ख़ैर करे खाल सब खींचने वाले हैं ख़ुदा ख़ैर करे, तन के
चौथी शादी कर के मुल्ला जी बहुत शादाँ हुए अपनी क़िस्मत की बुलंदी देख कर नाज़ाँ हुए, यूँ
जैसा हूँ स्वीकार तुम्हीं तो करती हो बिना शर्त के प्यार तुम्हीं तो करती हो, अपनी दिलकश अदा
ज़ख़्मों ने मुझ में दरवाज़े खोले हैं मैंने वक़्त से पहले टाँके खोले हैं, बाहर आने की भी
वैसे मैंने दुनिया में क्या देखा है तुम कहते हो तो फिर अच्छा देखा है, मैं उस को
मैंने ये कब कहा है कि वो मुझ को तन्हा नहीं छोड़ता छोड़ता है मगर एक दिन से
न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है कि उस से हम ने तुझे देखने की करनी
तूने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी सुर्ख़ हुई जाती है वादी शहज़ादी, शीश-महल को साफ़ किया तेरे कहने
ज़िंदगी की यही कहानी है साँस आनी है और जानी है, तुम जो होते तो बात कुछ होती
ये मोहब्बत जो मोहब्बत से कमाई हुई है आग सीने में उसी ने तो लगाई हुई है, एक