जी चाहे तो शीशा बन जा, जी चाहे पैमाना बन जा

jee-chahe-to-shisha

जी चाहे तो शीशा बन जा, जी चाहे पैमाना बन जा शीशा पैमाना क्या बनना ? मय बन

घने बादलो से जो कभी थोड़ी धूप निकलती रहती

shaam se aaj saans bhari hai

घने बादलो से जो कभी थोड़ी धूप निकलती रहती आसरे उम्मीद के मुमकिन है ज़िन्दगी चलती रहती, हुस्न

हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है…

hamne suna tha farishte jaan lete hai

हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, इश्क़ ने ऐसी

खुद ही जवाब देता खुद सवाल करता है

khud-hi-jawab-deta

खुद ही जवाब देता खुद सवाल करता है जमाना तेरा मेरे मौला कमाल करता है, भूले से भी

इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते

itna-ehsan-to-ham

इतना एहसान तो हम पर वो ख़ुदारा करते अपने हाथो से ज़िगर चाक हमारा करते, हमको तो दर्द

आ जाओ मैं लोरी गा के सुना देता हूँ…

ye dil avezi e hayat na ho

आ जाओ मैं लोरी गा के सुना देता हूँ चाँद अपना है उसे छत पे बुला लेता हूँ,

दरिन्दे खून बहने का इंतज़ार करेंगे

darinde-khoon-bahne-ka

दरिन्दे खून बहने का इंतज़ार करेंगे भरे पेट वाले अब भूखो पे वार करेंगे, वतन में क़त्ल ए

हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे

हर एक रूह में

हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे ये ज़िन्दगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे,

हर वक़्त किसी को मुकम्मल नज़ारा नहीं मिलता

har-waqt-kisi-ko

हर वक़्त किसी को मुकम्मल नज़ारा नहीं मिलता उम्मीद जब रखो तो कहीं किनारा नहीं मिलता, वफाओं के

हर शख्स का जीना यहाँ आसान नहीं है

har-shakhs-ka-jina

हर शख्स का जीना यहाँ आसान नहीं है मुश्किल से मिले वो जो परेशान नहीं है, हर शख्स