उसे मैं क्यूँ बताऊँ…???

उसे मैं क्यूँ बताऊँ

उसे मैं क्यूँ बताऊँ ??? मैंने उसको कितना चाहा है, बताया झूठ हो जाता है, सच्ची बात की

अगर चाहते हो तुम सदा मुस्कुराना…

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अगर चाहते हो तुम सदा मुस्कुराना कभी अपनी माँ का दिल न दुखाना,   करो अपनी माँ की

वो ख़ुद आँसू बहाएगा ज़रा तुम मर तो जाने दो

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वो ख़ुद आँसू बहाएगा ज़रा तुम मर तो जाने दो मुझे वापस बुलाएगा ज़रा तुम मर तो जाने

चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए…

चेहरे का ये निखार

चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने ही दे हुज़ूर

किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था…

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किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था ये कल की बात है दिल ज़िन्दगी में रहता था,

ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी…

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ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी मेरे ज़िम्मे है अधूरे से कई काम अभी, अभी ताज़ा

कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी…

कभी ख़ामोश रहोगी कभी

कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी हमें भुलाना भी चाहो तो भूला ना पाओगी, कोई पूछेगा बे वजह

मुझे इतना प्यार न दो बाबा

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बेटी का दर्द… मुझे इतना प्यार न दो बाबा कल जितना मुझे नसीब न हो, ये जो माथा

चिड़ियाँ होती है बेटियाँ….

चिड़ियाँ होती है बेटियाँ

चिड़ियाँ होती है बेटियाँ मगर पंख नहीं होते बेटियों के, मायके भी होते है,ससराल भी होते है मगर

खून अपना हो या पराया हो….

खून अपना हो या

खून अपना हो या पराया हो नस्ल ए आदम का खून है आखिर,   जंग मशरिक़ में हो