दोस्तों ! आज दिल में छुपे कुछ राज़ बयाँ करता हूँ…

dil me chupe kuch raaj bayan karta hoo

दोस्तों ! आज मैं दिल में छुपे कुछ राज़ बयाँ करता हूँ दुःख से जुड़े ग़ुरबत के दिनों

एक मंज़र यूं नजर आया कि मैं भी डर गया…

ek manzar yun nazar aaya ki main bhi dar gaya

  एक मंज़र यूं नजर आया कि मैं भी डर गया हाथ में रोटी थी जिसके वो भिखारी

वो मुहब्बत गई वो फ़साने गए…

wo muhabbat gayi wo fasane gaye

वो मुहब्बत गई वो फ़साने गए जो खज़ाने थे अपने खज़ाने गए, चाहतो का वो दिलकश ज़माना गया

दिल जब घबराये तो ख़ुद को एक क़िस्सा सुना देना…

dil jab ghabraye to khud ko ek qissa suna dena

दिल जब घबराये तो ख़ुद को एक क़िस्सा सुना देना ज़िन्दगी कितनी भी मुश्किल क्यूँ ना हो मुस्कुरा

तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है…

tasvir ka rukh ek nahi dusra bhi hai

तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है खैरात जो देता है वही लूटता भी है, ईमान को

यही कम नहीं है ज़िन्दगी के लिए…

yahi kam nahi hai zindagi ke liye

यही कम नहीं है ज़िन्दगी के लिए यहाँ चैन मिल जाए दो घड़ी के लिए, दिल ए ज़ार

जब तलक लगती नहीं है बोलियाँ मेरे पिता…

jab talak lagti nahi hai boliyan mere pita

जब तलक लगती नहीं है बोलियाँ मेरे पिता तब तलक उठती नहीं है डोलिया मेरे पिता, आज भी

ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है…

sukhanwari ka bahana banata rahta hoon

ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है वही होता है जो मंज़ूर ए ख़ुदा होता है,

घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर

ghar-jab-bana-liya

घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर जानेगा अब भी तू न मेरा घर कहे बग़ैर,

अब तो बस ये जान है मौला बाक़ी झूठी शान है मौला…

ab to bas ye jaan hai maula

अब तो बस ये जान है मौला बाक़ी झूठी शान है मौला, गम का कोई निशाँ नहीं है