कभी याद आऊँ तो पूछना ज़रा अपनी फ़ुर्सत ए शाम से…

कभी याद आऊँ तो

कभी याद आऊँ तो पूछना ज़रा अपनी फ़ुर्सत ए शाम से किसे इश्क़ था तेरी ज़ात से किसे

जान मेरी जान कोई और है बात मेरी मान कोई और है…

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जान मेरी जान कोई और है बात मेरी मान कोई और है, हो गया हूँ मैं किसी का

सुना है इस मुहब्बत में बहुत नुक़सान होता है…

सुना है इस मुहब्बत

सुना है इस मुहब्बत में बहुत नुक़सान होता है, महकता झूमता जीवन गमो के नाम होता है, सुना

वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है

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वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है किसी और को वो दिया नहीं, वो जो रिश्ता तुझसे है

चलो सागर ए इश्क़ का किनारा ढूँढे

chalo-sagar-e-ishq

चलो सागर ए इश्क़ का किनारा ढूँढे डूबने वालो के लिए सहारा ढूँढे, यूँ भी ज़माने में गम

कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ, कभी बात भूल जाऊँ…

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कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ कभी बात भूल जाऊँ तुझे इस क़दर चाहूँ कि अपनी ज़ात भूल जाऊँ उठ

जो तेरे प्यार के दरियाँ कशीद हो जाएँ

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जो तेरे प्यार के दरियाँ कशीद हो जाएँ मेरी हयात के मंज़र ज़दीद हो जाएँ, तुम्हारी चश्म ए

हम जो बे हाल ए ज़ार बैठे है…

हम जो बे हाल

हम जो बे हाल ए ज़ार बैठे है दिल की दिल में हार बैठे है, तेरी महफ़िल से

सितारों को जो छू कर देखते है

sitaro-ko-jo-choo

सितारों को जो छू कर देखते है सिकंदर है मुक़द्दर देखते है, समन्दर में हमें दिखते है क़तरे

सब के होते हुए लगता है कि घर ख़ाली है

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सब के होते हुए लगता है कि घर ख़ाली है ये तकल्लुफ़ है कि जज़्बात की पामाली है,