हुई न खत्म तेरी रह गुज़ार क्या करते

hui-na-khatm-teri

हुई न खत्म तेरी रह गुज़ार क्या करते तेरे हिसार से ख़ुद को फ़रार क्या करते ? सफ़ीना

अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इन्सान के बस का काम नहीं

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अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इन्सान के बस का काम नहीं फ़ैज़ान ए मोहब्बत आम सही, इर्फ़ान ए

बड़ी क़दीम रिवायत है ये सताने की…

बड़ी क़दीम रिवायत है

बड़ी क़दीम रिवायत है ये सताने की करो कुछ और ही तदबीर आज़माने की, कभी तो फूट कर

जिसे तुम प्यार समझे थे वो कारोबार था हमदम

jise-tum-pyar-samjhe

जिसे तुम प्यार समझे थे वो कारोबार था हमदम यहाँ सब अपने मतलब में मुहब्बत साथ रखते है,

जो मिला उससे गुज़ारा न हुआ

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जो मिला उससे गुज़ारा न हुआ जो हमारा था, वो हमारा न हुआ,   हम किसी और से

मालूम है इस दुनियाँ में मशहूर नहीं है

malum-hai-is-duniyan

मालूम है इस दुनियाँ में मशहूर नहीं है ये गाँव तेरे दिल से तो अब दूर नहीं है,

शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते है

shaam-tak-subah-kee

शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते है इतने समझौतों पे जीते है कि मर जाते है,

एक वो इतने खूबरू तौबा

ek-wo-itne-khoobroo

एक वो इतने खूबरू तौबा उसपे छूने की आरज़ू तौबा ! हाथ काँपेंगे रूह मचलेगी जब वो आएँगे

इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर…

इश्क़ जब एक मगरूर

इश्क़ जब एक मगरूर से हुआ तो फिर छोड़ कर अना ख़ुद को झुकाना पड़ा मुझे, उसने खेला

लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है

larzati-chhat-shikasta-baam

लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है मुझे तन्हाई में कुछ अपने घर से बात