एक निहत्थे आदमी के हाथ में क़िस्मत ही काफी है

ek-nihatthe-aadmi-ke

एक निहत्थे आदमी के हाथ में क़िस्मत ही काफी है हवाओं का रुख बदलने के लिए चाहत ही

आदमी केवल वहम में तानता है

aadmi-kewal-vaham-me

आदमी केवल वहम में तानता है शर्तियाँ औकात वो अपनी जानता है, रहनुमाई झूठ की कर ले मगर

क़ुदरत का करिश्मा भी क्या बेमिसाल है

qudrat-ka-karishma-bhi

क़ुदरत का करिश्मा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफ़ेद काले पर खून सबका लाल है, हिन्दू है यहाँ

ये क़ुदरत भी अब तबाही की हुई शौक़ीन लगती है

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ये क़ुदरत भी अब तबाही की हुई शौक़ीन लगती है ऐ दौर ए ज़दीद साज़िश तेरी बहुत संगीन

बात अब करते है क़तरे भी समंदर की तरह

baat-ab-karte-hai

बात अब करते है क़तरे भी समंदर की तरह लोग ईमान बदलते है कलेंडर की तरह, कोई मंज़िल

हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा है

ham-pyas-ke-maaro-ka

हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा है आँखों में नदी लेकिन हाथो में किनारा है, दो

क्यूँ खौफ़ इस क़दर है तुम्हे हादसात का ?

kyun-khauf-is-qadar

क्यूँ खौफ़ इस क़दर है तुम्हे हादसात का ? एक दिन ख़ुदा दिखाएगा रास्ता निज़ात का, ये तजरुबा

वो एक लफ़्ज़ जो बेसदा जाएगा

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वो एक लफ़्ज़ जो बेसदा जाएगा वही मुद्दतों तक सुना जाएगा, कोई है जो मेरे तआक़ुब में है

मुक़द्दर ने कहाँ कोई नया पैग़ाम लिखा है

muqaddar-ne-kahan-koi

मुक़द्दर ने कहाँ कोई नया पैग़ाम लिखा है अज़ल ही से वरक़ पर दिल के तेरा नाम लिखा

मुझे तन्हाई के ग़म से बचा लेते तो अच्छा था

mujhe-tanhaai-ke-gam

मुझे तन्हाई के ग़म से बचा लेते तो अच्छा था सफ़र में हमसफ़र अपना बना लेते तो अच्छा