बहुत ख़राब रहा इस दौर मे

bahut kharab raha is daur men

बहुत ख़राब रहा इस दौर मे एक क़ौम का अच्छा होना, रास ना आया मनहूसों को क़ौम का

इस नये साल पे ये सदा है ख़ुदा से

is naye saal pe ye sada hai

इस नये साल पे ये सदा है ख़ुदा से सलामत रहे वतन हर एक बला से, न पलकों

मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़…

mazlumo ke haq me ab awaz

मज़लूमों के हक़ मे अब आवाज़ उठाये कौन ? जल रही बस्तियाँ,आह ओ सोग मनाये कौन ? कौन

ज़ुल्म की हद ए इंतेहा को मिटाने का वक़्त है

zulm ki had e inteha

ज़ुल्म की हद ए इंतेहा को मिटाने का वक़्त है अब मज़लूमों का साथ निभाने का वक़्त है,

पैगम्बरों की राह पर चल कर न देखना

paigambaron ki raah par chal kar na dekhna

पैगम्बरों की राह पर चल कर न देखना या फिर चलो तो राह के पत्थर न देखना, पढ़ते

कोई ज़ब्त दे न जलाल दे…

koi zabt de na jalal de

कोई ज़ब्त दे न जलाल दे मुझे सिर्फ़ इतना कमाल दे, मुझे अपनी राह पे डाल दे कि

ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है

zinda hoon jab tak gungunane hai

ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है क्यूँकि गीत तेरे नाम के बड़े ही सुहाने है, है

कितना बुलंद मर्तबा पाया हुसैन ने

kitna buland martaba paya

कितना बुलंद मर्तबा पाया हुसैन ने राह ए ख़ुदा में घर को लुटाया हुसैन ने, कैसे बयाँ हो

सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे

sach bolne ke taur tarike nahi rahe

सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे पत्थर बहुत हैं शहर में शीशे नहीं रहे, वैसे तो हम

मेरे ख़ुदा मुझे वो ताब ए नय नवाई दे

mere khuda mujhe taab e nay e nawai de

मेरे ख़ुदा मुझे वो ताब ए नय नवाई दे मैं चुप रहूँ भी तो नग़्मा मेरा सुनाई दे,