किस तवक़्क़ो’ पे क्या उठा रखिए ?

kis-tavaqqo-pe-kya

किस तवक़्क़ो’ पे क्या उठा रखिए ? दिल सलामत नहीं तो क्या रखिए ? लिखिए कुछ और दास्तान

किस को मालूम है क्या होगा नज़र से पहले

kis-ko-malum-hai

किस को मालूम है क्या होगा नज़र से पहले होगा कोई भी जहाँ ज़ात ए बशर से पहले

अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है

apne-thake-hue-dast

अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो सब से माँगते

हम वक़्त ए मौत को तो हरगिज़ टाल न पाएँगे

waqt e maut ko hargiz taal naa payenge

हम वक़्त ए मौत को तो हरगिज़ टाल न पाएँगे हम ख़ाली हाथ आए है और ख़ाली हाथ

ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओ

ae-meri-qaum-ke

ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओउठो अब नींद से जागो के अब बेदार हो जाओ,

किसी कमज़ोर की जब भी दुआएँ गूँज उठती है

kisi-kamzor-ki-jab

किसी कमज़ोर की जब भी दुआएँ गूँज उठती है अबाबीलों के लश्कर से फज़ाएँ गूँज उठती है, ख़ामोशी

अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें…

ab zindagi pe ho gai bhari shararten

अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें तन्हाइयो ने छीन ली सारी शरारतें, होंठो के गुलिस्तान पे लाली

जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े

jab-dushmano-ke-chaar

जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े हम भी कफ़न बाँध के सर पर निकल पड़े, जिन

जिनके घरो में आज भी चूल्हा नहीं जला…

khana gar ham unko khilaye to eid hai

जिनके घरो में आज भी चूल्हा नहीं जला खाना गर हम उनको खिलाएँ तो ईद है, पानी नहीं

हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है

hum ek khuda ke bande aur ek jahan me baste hai

हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है, रब भी जब चाहे हम साथ