कोई उम्मीद बर नहीं आती

Koi ummid bar nahin

कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती, मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यूँ

तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो

Tum apne shikwe ki

तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो हज़र करो मेंरे दिल से कि इस में

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो

Rahiye ab aisi jagah

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो हम सुख़न कोई न हो और हम ज़बाँ

इशरत ए क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना

Ishrat e qatra hai

इशरत ए क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना,

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही

Ishq mujh ko nahin

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही, क़त्अ कीजे न तअल्लुक़ हम

ग़म ए दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की

Gam e duniya se

ग़म ए दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की फ़लक का देखना तक़रीब तेरे याद आने

लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है

likh-likh-ke-aansoo

लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है अपने सुख़न को अपनी पहचान कर लिया है, आख़िर

न घर है कोई, न सामान कुछ रहा बाक़ी

naa-ghar-hai-koi

न घर है कोई, न सामान कुछ रहा बाक़ी नहीं है कोई भी दुनिया में सिलसिला बाक़ी, ये

हर्फ़ ए ताज़ा नई ख़ुशबू में लिखा चाहता है

Harf e taza nayi

हर्फ़ ए ताज़ा नई ख़ुशबू में लिखा चाहता है बाब एक और मोहब्बत का खुला चाहता है, एक

हम ने ही लौटने का इरादा नहीं किया

Hum ne hi lautne

हम ने ही लौटने का इरादा नहीं किया उसने भी भूल जाने का वादा नहीं किया, दुख ओढ़ते