गुलाबी होंठों पे मुस्कराहट

Gulabi Honthon pe Muskurahat

गुलाबी होंठों पे मुस्कराहट सजा के मिलते तो बात बनती, वो चाँद चेहरे से काली ज़ुल्फें हटा के

मेरे नसीब का लिखा बदल भी सकता था

mere-nasib-ka-likha

मेरे नसीब का लिखा बदल भी सकता था वो चाहता तो मेंरे साथ चल भी सकता था, ये

लोग कहते हैं ज़माने में मुहब्बत कम है

Log kahte hain zamane

लोग कहते हैं ज़माने में मुहब्बत कम है ये अगर सच है तो इस में हकीक़त कम है,

कुछ ग़म ए जानाँ कुछ ग़म ए दौराँ…

kuch-gam-e-jaanaan

कुछ ग़म ए जानाँ कुछ ग़म ए दौराँ दोनों मेरी ज़ात के नाम एक ग़ज़ल मंसूब है उससे

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

Chupke chupke raat din

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है, बा

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता

ye na thi humari

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता, तेरे

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा

Aankhon me raha dil

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा, बेवक़्त अगर

आह को चाहिए एक उम्र असर होते तक

Aah ko chahiye ek

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक, दाम

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

Kitne Aish se rahte

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे,

गूंगी हो गई आज कुछ ज़ुबान कहते कहते

Goongi ho gayi aaj

गूंगी हो गई आज कुछ ज़ुबान कहते कहते हिचकिचा गया मैं ख़ुद को मुसलमान कहते कहते, ये बात